कृष्ण-स्तुति

 


गिरधर प्रभु तुम आज पधारो,

इस उपवन में अब पग धारो ।

वंशी की सुमधुर तानों से,

जग को वृन्दावन कर डालो ।

आओ विराजो राधा के संग,

मन-मंदिर पावन कर डालो ।

भक्ति का तुम रस बरसा कर,

मन की पीड़ा अब हर डालो ।

छल और कपट मिटे सबका ,

ऐसी कुछ लीला कर डालो ।

कवि- राजू रंजन

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